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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (तम्) उस (इन्द्रम्) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाले राजा] को (महे) बड़े (वृत्राय) रोकनेवाले वैरी के (हन्तवे) मारने को (वाजयामसि) हम बलवान् करते हैं [उत्साही बनाते हैं], (सः) वह (वृषा) पराक्रमी (वृषभः) श्रेष्ठ वीर (भुवत्) होवे ॥१२॥
Connotation: - प्रजागण राजा को शत्रुओं के मारने के लिये सहाय करें और राजा भी प्रजा की भलाई के लिये प्रयत्न करे ॥१२॥
Footnote: मन्त्र १२-१४ आचुके हैं-अथ० २०।४७।१-३ ॥ १२-१४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० २०।४७।१-३ ॥