Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (आशुपत्वाः) हे शीघ्रगामी पुरुषो ! (श्वेतः) श्वेत वर्णवाला [सूर्य] (उत) भी (यविष्ठः) अत्यन्त बलवान् होकर (पद्याभिः) चलने योग्य गतियों से (उतो) निश्चय करके (उत) अवश्य (ईम्) प्राप्तियोग्य (मानम्) परिमाण को (आशु) शीघ्र (पिपर्ति) पूरा करता है ॥८॥
Connotation: - जैसे सूर्य अपने मार्ग में चलकर संसार का उपकार करता है, वैसे ही मनुष्य वेदमार्ग पर चलकर शीघ्र उपकार करें ॥८॥
Footnote: ८−(उत) अपि (श्वेतः) शुक्लवर्णः सूर्यः (आशुपत्वाः) अशूप्रुषिलटि०। उ० १।११। आशु+पत गतौ−क्वन्। हे शीघ्रगामिनः (उतो) निश्चयेन (पद्याभिः) पाद−यत्। पद्यत्यतदर्थे। पा० ६।३।३। इति पद्भावः। पादाय गमनाय हिताभिर्गतिभिः (यविष्ठः) अथ० १८।४।६१। युवन्−इष्ठन्। अतिशयेन बलवान् सन् (उत) अवश्यम् (ईम्) प्राप्तव्यम् (आशु) शीघ्रम् (मानम्) परिमाणम् (पिपर्ति) पूरयति ॥