Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (अरंगरः) पूरा विज्ञानी पुरुष (त्रेधा) तीन प्रकार से [स्थान, नाम और मनुष्य आदि जन्म से] (वरत्रया) रस्सी से (बद्धः) बँधा हुआ (वावदीति) बार-बार कहता है। (इराम्) लेने योग्य अन्न को (अह) ही (प्रशंसति) वह सराहता है और (अनिराम्) निन्दित अन्न को (अप सेधति) हटाता है ॥१३॥
Connotation: - विद्वान् आप्त पुरुष अपना स्थान, नाम और जन्म सुधारने के लिये अधर्म को छोड़कर धर्म से अन्न आदि पदार्थ ग्रहण करें ॥१३॥
Footnote: १३−(अरंगरः) अलम्+गॄ विज्ञाने−अप्। पूर्णविज्ञानी पुरुषः (वावदीति) पुनः पुनर्वदति (त्रेधा) धामानि त्रयाणि भवन्ति स्थानानि नामानि जन्मानीति−निरु० ९।२८। स्थाननामजन्मभिस्त्रिप्रकारेण (बद्धः) (वरत्रया) वृञश्चित्। उ० ३।१०७। वृञ् वरणे−अत्रन् चित्। रज्ज्वा (इराम्) ऋज्रेन्द्रा−अ०। उ० २।२८। इण् गतौ−रन्, गुणाभावः। इरा अन्ननाम−निघ० २।७। प्रापणीयमन्नम् (अह) अवश्यम् (प्रशंसति) स्तौति (अनिराम्) निन्दितमन्नम् (अप सेधति) अपगमयति निवारयति ॥