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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे मनुष्यो !] (देवाः) विद्वान् लोग (आसुरम्) बुद्धिमत्ता (ददतु) देवें, (तत्) वह (वः) तुम्हारे लिये (सुचेतनम्) सुन्दर ज्ञान (अस्तु) होवे। (युष्मान्) तुमको वह (दिवेदिवे) दिन-दिन (अस्तु) होवे, [उस को] (प्रति) प्रत्यक्ष रूप से (एव) ही (गृभायत) तुम ग्रहण करो ॥१०॥
Connotation: - सब मनुष्य विद्वानों से शिक्षा लेकर सदा आनन्द पावें ॥१०॥
Footnote: १०−(देवाः) विद्वांसः (ददतु) प्रयच्छन्तु (आसुरम्) असुर-अण् भावे। असुरत्वं प्रज्ञावत्त्वं ज्ञानवत्त्वं वापि वासुरिति प्रज्ञानामास्यत्यनर्थानस्ताश्चास्यामर्थाः-निरु० १०।३४। बुद्धिमत्त्वम् (तत्) आसुरम् (वः) युष्मभ्यम् (अस्तु) (सुचेतनम्) प्रशस्तं ज्ञानम् (युष्मान्) युष्मभ्यम् (अस्तु) (दिवेदिवे) दिने-दिने (प्रति) प्रत्यक्षेण (एव) निश्चयेन (गृभायत) अ० ८।४।१८। गृह्णीत ॥