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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
स्त्रियों के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (मातुः ते) तुझ माता के (द्वौ) दोनों (किरणौ) प्रकाश की किरणें [शारीरिक बल और आत्मिक पराक्रम] (पुरुषान्) पुरुषों [शरीरधारी जीवों] को (ऋते) सत्य शास्त्र में (निवृत्तः) प्रकाशमान करते हैं। (कुमारि) हे कुमारी ! ........... [म० १] ॥२॥
Connotation: - माता आदि से ही सुशिक्षा पाकर सब सन्तान पुरुषार्थी होते हैं। स्त्री आदि .......... [म० १] ॥२॥
Footnote: २−(मातुः) जनन्याः (ते) तव, मातुः-इति पदेन समानाधिकरणम् (किरणौ) म० १। (द्वौ) (निवृत्तः) वृतु चुरादिः-भाषणे दीपने च+निवर्तयतः। नितरां दीपयतः (पुरुषान्) शरीरधारिणो जीवान् (ऋते) सत्यशास्त्रे। अन्यत् पूर्ववत्। म० १ ॥