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कुला॑यन् कृणवा॒दिति॑ ॥

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कुलायन् । कृणवात् । इति ॥१३२.५॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:132» Paryayah:0» Mantra:5


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

परमात्मा के गुणों का उपदेश।

Word-Meaning: - (कुलायन्) स्थानों को (कृणवात्) वह [परमात्मा] बनाता है, (इति) ऐसा [मानते हैं] ॥॥
Connotation: - परमात्मा ने यह सब बड़े लोक बनाये हैं। मनुष्य अपने हृदय को सदा बढ़ाता जावे, कभी संकुचित न करे ॥-७॥
Footnote: −(कुलायन्) अ० २०।१२।८। कुलायन्। स्थानानि (कृणवात्) लडर्थे लेट्। करोति रचयति परमेश्वरः (इति) एवं मन्यते ॥