Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
Word-Meaning: - (अत्यर्धर्च) हे अत्यन्त बढ़ी हुई स्तुतिवाले ! (पूरुषः) इस पुरुष ने (अदूहमित्याम्) अनष्ट ज्ञान के बीच (परस्वतः) पालन सामर्थ्यवाले [मनुष्य] के (पूषकम्) बढ़ती करनेवाले व्यवहार को (व्याप) फैलाया है ॥१७-१९॥
Connotation: - मनुष्य विद्या आदि की प्राप्ति से संसार का उपकार करके अपनी कीर्ति फैलावे, जैसे लोहार धौंकनी की खालों को वायु से फुलाकर फैलाता है ॥१७-२०॥
Footnote: १९−(अत्यर्धर्च) ऋधु वृद्धौ-घञ्, ऋच स्तुतौ क्विप्। ऋक्पूरब्धूः०। पा० ।४।७४। समासान्तस्य अप्रत्ययः। हे अतिशयेन प्रवृद्धस्तुतियुक्त (परस्वतः) पॄ पालनपूरणयोः-असुन्, मतुप्। पालनसामर्थ्ययुक्तस्य मनुष्यस्य ॥