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शृङ्ग॑ उत्पन्न ॥

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शृङ्ग: । उत्पन्न ॥१३०.१३॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:130» Paryayah:0» Mantra:13


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

मनुष्य के लिये पुरुषार्थ का उपदेश।

Word-Meaning: - [हे शत्रु !] तू (शृङ्गः) हिंसक (उत्पन्न) उत्पन्न है ॥१३॥
Connotation: - मनुष्य अपने मित्रों को दुष्टों से कभी न मिलने देवे ॥१३, १४॥
Footnote: १३−(शृङ्गः) शृणातेर्ह्रस्वश्च। उ० १।१२६। शॄ हिंसायाम-गन्, नुट् च। हिंसकः। शत्रुः (उत्पन्न) प्रादुर्भूतोऽसि ॥