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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा के धर्म का उपदेश।
Word-Meaning: - (यः) जो (देवः) देव [विजय चाहनेवाला पुरुष] (मर्त्यान् अति) मनुष्यों में बढ़कर [गुणी है], (विश्वजनीनस्य) सब लोगों के हितकारी, (वैश्वानरस्य) सबके नेता, (परिक्षितः) सब प्रकार ऐश्वर्यवाले (राज्ञः) उस राजा की (सुष्टुतिम्) उत्तम स्तुति को (आ) भले प्रकार (सुनोत) मथो ॥७॥
Connotation: - सर्वहितकारी पुरुष से सब मनुष्य उत्तम गुणों का ग्रहण करें ॥७॥
Footnote: ७−(राज्ञः) तस्य शासकस्य (विश्वजनीनस्य) आत्मन्विश्वजनभोगोत्तरपदात् खः। पा० ।१।९। विश्वजन-खप्रत्ययः। सर्वजनेभ्यो हितस्य (यः) (देवः) विजिगीषुः (मर्त्यान्) मनुष्यान् (अति) अतीत्य। उल्लङ्घ्य श्रेष्ठगुणैः-वर्तते (वैश्वानरस्य) सर्वनायकस्य (सुष्टुतिम्) कल्याणीं स्तुतिम् (आ) समन्तात् (सुनीत) मथध्वम् (परिक्षितः) क्षि ऐश्वर्ये-क्विप्। तुक्। सर्वत ऐश्वर्ययुक्तस्य ॥