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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा के धर्म का उपदेश।
Word-Meaning: - (वृषाः) बलवान् (गावः इव) बैलों के समान (रेभासः) विद्वान् लोग (मनीषाः) बुद्धियों को (प्र ईरते) आगे बढ़ाते हैं। (अमोत) हे बन्धनरहित ! (अमोत) हे मुक्त मनुष्य ! (एषाम्) इन [विद्वानों] के (पुत्रकाः) पुत्र (गाः) विद्याओं और भूमियाँ को (इव) अवश्य (आसते) सेवते हैं ॥॥
Connotation: - जैसे बलवान् बैल आगे बढ़ते जाते हैं, मनुष्य विघ्नों से मुक्त होकर बुद्धि को अनेक प्रकार बढ़ावें और सन्तान आदि को योग्य विद्वान् और राज्याधिकारी बनावें ॥॥
Footnote: −(प्र) प्रकर्षेण (रेभासः) विद्वांसः (मनीषाः) बुद्धीः (वृषाः) बलवन्तः (गावः) वृषभाः (इव) यथा (ईरते) गमयन्ति (अमोत) मूङ् बन्धने-क्त, छान्दसो गुणः। हे अमूत। अबद्ध। मुक्त (पुत्रकाः) पुत्राः। सन्तानाः (एषाम्) पूर्वोक्तानाम् (अमोत) (गाः) विद्याः। भूमीः (इव) एव (आसते) उपासते। सेवन्ते ॥