Go To Mantra

सं॑हो॒त्रं स्म॑ पु॒रा नारी॒ सम॑नं॒ वाव॑ गच्छति। वे॒धा ऋ॒तस्य॑ वी॒रिणीन्द्र॑पत्नी महीयते॒ विश्व॑स्मा॒दिन्द्र॒ उत्त॑रः ॥

Mantra Audio
Pad Path

सम्ऽहोत्रम् । स्म । पुरा । नारी । समनम् । वा । अव । गच्छति ॥ वेधा: । ऋतस्य । वीरिणी । इन्द्रऽपत्नी । महीयते । विश्वस्मात् । इन्द्र: । उत्ऽतर ॥१२६.१०॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:126» Paryayah:0» Mantra:10


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

गृहस्थ के कर्तव्य का उपदेश।

Word-Meaning: - (नारी) नारी [नरों का हित करने हारी स्त्री] (पुरा) पहिले काल से (स्म) ही (संहोत्रम्) मिलकर अग्निहोत्र आदि यज्ञ करने (वा) और (समनम्) मिलकर जीवन करने को (अव गच्छति) जानती है। (ऋतस्य) सत्य ज्ञान का (वेधाः) विधान करनेवाली (वीरिणी) वीरिणी [वीर सन्तानोंवाली], (इन्द्रपत्नी) इन्द्रपत्नी [बड़े ऐश्वर्यवाले मनुष्य की स्त्री] (महीयते) पूजी जाती है, (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाला मनुष्य] (विश्वस्मात्) सब [प्राणी मात्र] से (उत्तरः) उत्तम श्रेष्ठ है ॥१०॥
Connotation: - जो ज्ञानवती स्त्री अपने सदृश वीर पति से विवाह करके वीर सन्तानें उत्पन्न करती है, वही संसार में बड़ाई पाती है ॥१०॥
Footnote: १०−(संहोत्रम्) पत्यादिभिः सहाग्निहोत्रादियज्ञम् (स्म) एव (पुरा) पुरस्तात् (नारी) नराणां हिता स्त्री (समनम्) अन प्राणने-अच्। सहजीवनम् (वा) समुच्चये (अव गच्छति) जानाति (वधाः) विधात्री (ऋतस्य) सत्यज्ञानस्य (वीरिणी) म० ९। (इन्द्रपत्नी) म० ९। (महीयते) पूज्यते। अन्यद् गतम् ॥