Word-Meaning: - (पितरौ) माता-पिता (पुत्रम् इव) जैसे पुत्र को [वैसे] (अश्विना) कामों में व्यापक [सभापति और सेनापति] (उभा) तुम दोनों ने (काव्यैः) बुद्धिमानों के लिये व्यवहारों से और (दंसनाभिः) दर्शनीय क्रियाओं से [राज्य की] (आवथुः) रक्षा की है, और (मघवन्) हे महाधनी (इन्द्र) इन्द्र ! [बड़े ऐश्वर्यवाले राजन्] (यत्) क्योंकि (सुरामम्) बड़े आनन्द देनेवाले [आनन्द रस] को (शचीभिः) अपनी बुद्धियों से (वि) विविध प्रकार (अपिबः) तूने पिया है, (सरस्वती) सरस्वती [विज्ञानयुक्त विद्या] ने (त्वा) तुझको (अभिष्णक्) सेवन किया है ॥॥
Connotation: - जब प्रजा और सेना के अधिकारी पूरी प्रीति से प्रजा की रक्षा करते हैं, और जब मुख्य सभापति राजा भी तत्त्व जाननेवाला होता है, उस राज्य में विद्या की वृद्धि होती है ॥॥