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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
परमेश्वर के गुणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (अहम्) मैंने (पितुः) पिता [परमेश्वर] से (इत् हि) अवश्य करके (ऋतस्य) सत्य वेद की (मेधाम्) धारणावती बुद्धि (परि) सब प्रकार (जग्रभ) पाई है, (अहम्) मैं (सूर्यः इव) सूर्य के समान (अजनि) प्रसिद्ध हुआ हूँ ॥१॥
Connotation: - मनुष्य परमात्मा के दिये वेदज्ञान को ग्रहण करके संसार में सूर्य के समान विद्या का प्रकाश करे ॥१॥
Footnote: यह तृच ऋग्वेद में है-८।६।१०-१२ सामवेद उ० ७।१, तृच , म० १ सा० पू० २।६।८ ॥ १−(अहम्) मनुष्यः (इत्) एव (हि) अवश्यम् (पितुः) पालकात् परमेश्वरात् (परि) सर्वथा (मेधाम्) धारणावतीं बुद्धिम् (ऋतस्य) सत्यज्ञानस्य (जग्रभ) हस्य भः। अहं जग्रह। गृहीतवानस्मि (अहम्) (सूर्यः) (इव) (अजनि) अजनिषं प्रादुरभूवम् ॥