Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (प्रवृद्ध) हे बढ़े हुए (सत्पते) सत्पुरुषों के रक्षक ! [पुरुष] (वा) और (यत्) जो (इति) ऐसा (मन्यसे) तू मानता है−(न मरै) मैं न मरूँ, (उतो) सो (तत्) वह (तव) तेरा [वचन] (सत्यम्) सत्य (इत्) ही [होवे] ॥२॥
Connotation: - मनुष्य प्रयत्न करके सत्पुरुषों की रक्षा करते हुए धर्म में प्रवृत्त रहकर अपना नाम बनाये रक्खें ॥२॥
Footnote: २−(यत्) यदि (वा) च (प्रवृद्ध) प्रवर्धमान (सत्पते) सतां पालक (न) निषेधे (मरै) अहं म्रिये (इति) एवम् (मन्यसे) बुध्यसे (उतो) अपि च (तत्) वचनम् (सत्यम्) यथार्थम् (इत्) एव (तव) ॥