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त्वया॑ व॒यं शा॑शद्महे॒ रणे॑षु प्र॒पश्य॑न्तो यु॒धेन्या॑नि॒ भूरि॑। चो॒दया॑मि त॒ आयु॑धा॒ वचो॑भिः॒ सं ते॑ शिशामि॒ ब्रह्म॑णा॒ वयां॑सि ॥

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त्वया । वयम् । शाशद्महे । रणेषु । प्रऽपश्यन्त: । युधेन्यानि । भूरि ॥ चोदयामि । ते । आयुधा । वच:ऽभि: । सम् । ते । शिशाम‍ि । ब्रह्मणा । वयांसि ॥१०७.८॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:107» Paryayah:0» Mantra:8


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

१-१२ परमेश्वर के गुणों का उपदेश।

Word-Meaning: - (भूरि) बहुत से (युधेन्यानि) युद्धों को (प्रपश्यन्तः) देखते हुए (वयम्) हम लोग (त्वया) तेरे साथ (रणेषु) रणक्षेत्रों में [शत्रुओं को] (शाशद्महे) मार गिराते हैं। (ते) तेरे (वचोभिः) वचनों से (आयुधा) अपने शस्त्रों को (चोदयामि) मैं आगे बढ़ाता हूँ और (ते) तेरे (ब्रह्मणा) ब्रह्मज्ञान से (वयांसि) अपने जीवनों को (सम्) यथावत् (शिशामि) तीक्ष्ण करता हूँ ॥८॥
Connotation: - शूर-वीर मनुष्य परमेश्वर में विश्वास करके पुरुषार्थपूर्वक बड़े-बड़े कार्य सिद्ध करते हैं ॥८॥
Footnote: ४-१२−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० ।२।१-९ ॥