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स्तु॒ष्व व॑र्ष्मन्पुरु॒वर्त्मा॑नं॒ समृभ्वा॑णमि॒नत॑ममा॒प्तमा॒प्त्याना॑म्। आ द॑र्शति॒ शव॑सा॒ भूर्यो॑जाः॒ प्र स॑क्षति प्रति॒मानं॑ पृथि॒व्याः ॥

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Pad Path

स्तुष्व । वर्ष्मन् । पुरुऽवर्त्मानम् । सम् । ऋभ्वाणम् । इनतमम् । आप्तम् । आप्त्यानाम् ॥ आ । दर्शति । शवसा । भूरिऽओजा: । प्र । सक्षति । प्रतिऽमानम् । पृथिव्या: ॥१०७.१०॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:107» Paryayah:0» Mantra:10


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

१-१२ परमेश्वर के गुणों का उपदेश।

Word-Meaning: - (वर्ष्मन्) हे ऐश्वर्यवान् पुरुष ! (पुरुवर्त्मानम्) बहुत मार्गवाले (ऋभ्वाणम्) दूर-दूर चमकनेवाले, (इनतमम्) महाप्रभु और (आप्त्यानाम्) आप्त [यथार्थवक्ता] पुरुषों में रहनेवाले गुणों के (आप्तम्) यथार्थवक्ता परमेश्वर की (सम्) यथावत् (स्तुष्व) स्तुति कर। (भूर्योजाः) वह महाबली (शवसा) अपने बल से (आ) सब ओर (दर्शति) देखता है, और वह (पृथिव्याः) पृथिवी का (प्रतिमानम्) प्रतिमान होकर (प्र) भली-भाँति (सक्षति) व्यापता है ॥१०॥
Connotation: - मनुष्य जगदीश्वर परमात्मा के गुण, कर्म, स्वभाव विचारकर अपनी उन्नति करें ॥१०॥
Footnote: ४-१२−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अथ० ।२।१-९ ॥