Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
जीवन बढ़ाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! [परम ऐश्वर्यवाले मनुष्य] (जीव) तू जीता रह, (सूर्य) हे सूर्य ! [सूर्यसमान तेजस्वी] (जीव) तू जीता रह, (देवाः) हे विद्वानो ! तुम (जीवाः) जीनेवाले [हो], (अहम्) मैं (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥१॥
Connotation: - मनुष्य परम ऐश्वर्यवान् और प्रधान होकर विद्वानों के साथ पूर्ण आयु जीवें ॥१॥
Footnote: १−(इन्द्र) हे परमैश्वर्यवन् मनुष्य (जीव) प्राणान् धारय (सूर्य) हे सूर्यवत्तेजस्विन् (जीव) (देवाः) हे विद्वांसः (जीवाः) जीवनवन्तः स्थ। अन्यत् पूर्ववत् स्पष्टं च ॥