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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
भौतिक अग्नि के उपयोग का उपदेश।
Word-Meaning: - (जातवेदः) हे पदार्थों में विद्यमान ! [अग्नि] (इध्मेन) इन्धन [जलाने के पदार्थ] से और (समिधा) समिधा [काष्ठ आदि] से (त्वा) तुझे [जैसे] (वर्धयामसि) हम बढ़ाते हैं। (तथा) वैसे ही (त्वम्) तू (अस्मान्) हमें (प्रजया) प्रजा [सन्तान आदि] से (च च) और (धनेन) धन से (वर्धय) बढ़ा ॥२॥
Connotation: - जैसे-जैसे मनुष्य हवन और शिल्प कार्यों में भौतिक अग्नि का उपयोग करते हैं, वैसे-वैसे ही उनके सन्तान आदि और धन की वृद्धि होती है ॥२॥
Footnote: २−(इध्मेन) इन्धनसाधनेन (त्वा) त्वाम् (जातवेदः) हे पदार्थेषु विद्यमान (समिधा) काष्ठादिना (वर्धयामसि) वर्धयामः। प्रवृद्धं कुर्मः (तथा) तेन प्रकारेण (त्वम्) (अस्मान्) अग्निप्रदीपकान् (वर्धय) समर्धय (प्रजया) सन्तानादिना (च) (धनेन) सुवर्णादिना (च) ॥