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सं राजा॑नो अगुः॒ समृ॒णान्य॑गुः॒ सं कु॒ष्ठा अ॑गुः॒ सं क॒ला अ॑गुः। सम॒स्मासु॒ यद्दुः॒ष्वप्न्यं॒ निर्द्वि॑ष॒ते दुः॒ष्वप्न्यं॑ सुवाम ॥

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Pad Path

सम्। राजानः। अगुः। सम्। ऋणानि। अगुः। सम्। कुष्ठाः। अगुः। सम्। कलाः। अगुः। सम्। अस्मासु। यत्। दुःऽस्वप्न्यम्। निः। द्विषते। दुःऽस्वप्न्यम्। सुवाम ॥५७.२॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:57» Paryayah:0» Mantra:2


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

बुरे स्वप्न दूर करने का उपदेश।

Word-Meaning: - (राजानः) राजा लोग (सम् अगुः) एकत्र हुए हैं, (ऋणानि) अनेक ऋण (सम् अगुः) एकत्र हुए हैं, (कुष्ठाः) कुष्ठ [कूट आदि औषध विशेष] (सम् अगुः) इकट्ठे हुए हैं, (कलाः) कलाएँ [समय के अंश] (सम् अगुः) एकत्र हुए हैं। (अस्मासु) हममें, (यत्) जो (दुःष्वप्न्यम्) दुष्ट स्वप्न (सम्=सम् अगात्) एकत्र हुआ है, (दुःष्वप्न्यम्) उस दुष्ट स्वप्न को (द्विषते) वैर करनेवाले के लिये (निः सुवाम) हम बाहर निकालें ॥२॥
Connotation: - (कुष्ठ) अर्थात् कूट औषध के लिये देखो-अ० १९।३९। जैसे राजा लोग एकत्र होकर संसार के कष्ट दूर करते हैं, वैसे ही वैद्य लोग दुष्ट स्वप्न आदि रोगों का नाश करें ॥२॥
Footnote: २−(राजानः) (सम् अगुः) इण् गतौ-लुङ्। संहता अभवन् (ऋणानि) (सम् अगुः) बहूनि अभवन् (कुष्ठाः) अ० १९।३९।१। रोगाणां निष्कर्षकाः। औषधविशेषाः (सम् अगुः) (कलाः) कालांशाः (सम् अगुः) (सम्) सम् अगात् (अस्मासु) (यत्) (दुःष्वप्न्यम्) दुष्टस्वप्नभावः (द्विषते) द्वेष्टे (दुःष्वप्न्यम्) दुष्टस्वप्नभावम् (निः सुवाम) बहिर्गमयाम ॥