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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
काम की प्रशंसा का उपदेश।
Word-Meaning: - (काम) हे काम ! [आशा] (यत्) जिस [फल] को (कामयमानाः) चाहते हुए हम (ते) तेरी (इदम्) यह (हविः) भक्ति (कृण्मसि) करते हैं। (तत्) वह (सर्वम्) सब (नः) हमारे लिये (सम्) सर्वथा (ऋध्यताम्) सिद्ध होवे, (अथ) इसलिये (स्वाहा) सुन्दर वाणी के साथ [वर्तमान] (एतस्य) इस (हविषः) भक्ति की (वीहि) प्राप्ति कर ॥५॥
Connotation: - मनुष्यों को दृढ़ भक्ति के साथ शुभ कामनाओं की सिद्धि के लिये पूरा प्रयत्न करना चाहिये ॥५॥
Footnote: ५−(यत्) कर्मफलम् (काम) हे अभिलाष (कामयमानाः) इच्छन्तः (इदम्) क्रियमाणम् (कृण्मसि) कुर्मः (ते) तव (हविः) आत्मदानम्। भक्तिम् (तत्) (नः) अस्मभ्यम् (सर्वम्) (सम्) सम्यक् (ऋध्यताम्) सिध्यतु (अथ) तस्मात् (एतस्य) (हविषः) आत्मदानस्य (वीहि) प्राप्तिं कुरु (स्वाहा) सुवाण्या ॥