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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रात्रि में रक्षा का उपदेश।
Word-Meaning: - (अरिष्यन्तः) बिना कष्ट उठाये हुए (वयम्) हम लोग (तन्वा) अपने शरीर के साथ (रात्रिं रात्रिम्) रात्रि के पीछे रात्रि को (तरेम) पार करें। (अरातयः) वैरी लोग [उसको] (न तरेयुः) न पार करें, (इव) जैसे (अप्लवाः) बिना नाववाले मनुष्य (गम्भीरम्) गहरे [समुद्र] को ॥३॥
Connotation: - पुरुषार्थी मनुष्य सब विघ्नों को सहकर उन्नति करें, विरोधी आलसी पुरुष सुकर्मों को सिद्ध नहीं कर सकते ॥३॥
Footnote: ३−(रात्रिं रात्रिम्) रात्रिं प्रति रात्रिम् (अरिष्यन्तः) दुःखं न प्राप्नुवन्तः (तरेम) पारं गच्छेम (तन्वा) स्वशरीरेण (वयम्) पुरुषार्थिनः (गम्भीरम्) अगाधं समुद्रम् (अप्लवाः) नौकादिरहिताः (इव) यथा (न) निषेधे (तरेयुः) अतिक्रामेयुः (अरातयः) शत्रवः ॥