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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रात्रि में रक्षा का उपदेश।
Word-Meaning: - (रात्रि) हे रात्रि ! (ते) तेरे (ये) जो (तीक्ष्णशृङ्गाः) पैने सींगवाले और (स्वाशवः) बड़े फुरतीले (अनड्वाहः) रथ ले चलनेवाले बैल [अर्थात् बैलों के समान रक्षा भार उठानेवाले पुरुष] हैं। (तेभिः) उनके द्वारा (नः) हमें (अद्य) आज और (विश्वाहा) सब दिन (दुर्गाणि प्रति) विघ्नों को लाँघ कर (पारय) पार लगा ॥२॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि रथ ले चलनेवाले फुरतीले बलवान् बैलों के समान रक्षा भार उठाने में फुरतीले और पराक्रमी होकर सब विघ्नों को हटावें ॥२॥
Footnote: २−(ये) रक्षकाः (ते) तव (रात्रि) (अनड्वाहः) अनसः शकटस्य वाहकाः पुङ्गवा इव रक्षाभारवाहकाः पुरुषाः (तीक्ष्णशृङ्गाः) निशितविषाणाः (स्वाशवः) अतिशीघ्रगामिनः (तेभिः) तैः (नः) अस्मान् (अद्य) अस्मिन् दिने (पारय) तारय (अति) अतीत्य। उल्लङ्घ्य (दुर्गाणि) विघ्नान् (विश्वहा) विश्वेषु सर्वेषु अहःसु दिनेषु ॥