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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रात्रि में रक्षा का उपदेश।
Word-Meaning: - (विभावरि) हे चमकवाली (रात्रि) रात्रि ! (नः) हमारे (स्तोमस्य) स्तोत्र का (राजा इव) राजा के समान (जोषसे) तू सेवन करती रहे। (व्युच्छन्तीः) विविध प्रकार चमकती हुई (उषसः अनु) उषाओं के साथ-साथ हम (सर्ववीराः) सब वीरोंवाले (असाम) होवें, और (सर्ववेदसः) सब सम्पत्तिवाले (भवाम) होवें ॥६॥
Connotation: - मनुष्य ताराओंवाली रात्रि के सुन्दर उपयोग से स्तुतियोग्य कर्म करके सदा बड़े-बड़े वीर पुरुषोंवाले और बड़ी सम्पत्तिवाले होवें ॥६॥
Footnote: ६−(स्तोमस्य) स्तोत्रस्य (नः) अस्माकम् (विभावरि) हे विशेषदीप्तियुक्ते (रात्रि) (राजा) (इव) यथा (जोषसे) लेटि अडागमः। सेवस्व (असाम) (सर्ववीराः) सर्ववीरोपेताः (भवाम) (सर्ववेदसः) बहुसम्पत्तियुक्ताः (व्युच्छन्तीः) विशेषेण भासमानाः (अनु) अनुलक्ष्य (उषसः) प्रभातवेलाः ॥