शि॒वां रात्रि॑मनु॒सूर्यं॑ च हि॒मस्य॑ मा॒ता सु॒हवा॑ नो अस्तु। अ॒स्य स्तोम॑स्य सुभगे॒ नि बो॑ध॒ येन॑ त्वा॒ वन्दे॒ विश्वा॑सु दि॒क्षु ॥
शिवाम्। रात्रिम्। अनुऽसूर्यम्। च। हिमस्य। माता। सुहवा। नः। अस्तु। अस्य। स्तोमस्य। सुऽभगे। नि। बोध। येन। त्वा। वन्दे। विश्वासु। दिक्षु ॥४९.५॥
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रात्रि में रक्षा का उपदेश।