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ये रात्रि॑मनु॒तिष्ठ॑न्ति॒ ये च॑ भू॒तेषु॒ जाग्र॑ति। प॒शून्ये सर्वा॒न्रक्ष॑न्ति॒ ते न॑ आ॒त्मसु॑ जाग्रति॒ ते नः॑ प॒शुषु॑ जाग्रति ॥

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Pad Path

ये। रात्रिम्। अनुऽतिष्ठन्ति। ये। च। भूतेषु। जाग्रति। पशून्। ये। सर्वान्। रक्षन्ति। ते। नः। आत्मऽसु। जाग्रति। ते। नः। पशुषु। जाग्रति ॥४८.५॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:48» Paryayah:0» Mantra:5


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

रात्रि में रक्षा का उपदेश।

Word-Meaning: - (ये) जो [पुरुष] (रात्रिम्) रात्रि के (अनुतिष्ठन्ति) साथ चलते हैं [रात्रि में सावधान रहते हैं] (च) और (ये) जो (भूतेषु) सत्तावालों पर (जाग्रति) जागते हैं। (ये) जो (सर्वान्) सब (पशून्) पशुओं की (रक्षन्ति) रक्षा करते हैं, (ते) वे (नः) हमारे (आत्मसु) आत्माओं [जीवों] पर (जाग्रति) जागते हैं, (ते) वे (नः) हमारे (पशुषु) पशुओं पर (जाग्रति) जागते हैं ॥५॥
Connotation: - मनुष्य रात्रि में सावधान रहकर संसार के सब पदार्थों, पशुओं और पुरुषों की रक्षा करें ॥५॥
Footnote: ५−(ये) जनाः (रात्रिम्) (अनुतिष्ठन्ति) अनुसृत्य वर्तन्ते (ये) (च) (भूतेषु) भवनवत्सु। सत्तावत्सु (जाग्रति) सावधानाः सन्ति (पशून्) गवादीन् (ये) (सर्वान्) (रक्षन्ति) पालयन्ति (ते) जनाः (नः) अस्माकम् (आत्मसु) जीवेषु (जाग्रति) (ते) (नः) अस्माकम् (पशुषु) गवादिषु (जाग्रति) जागरिता भवन्ति ॥