Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ब्रह्म की उपासना का उपदेश।
Word-Meaning: - (राजन्) हे राजन् (वरुण) वरुण ! [सर्वश्रेष्ठ परमात्मन्] (पुरुषः) पुरुष (इदम्) अब (बहु) बहुत (अनृतम्) असत्य (आह) बोलता है। (सहस्रवीर्य) हे सहस्र प्रकार के पराक्रमवाले ! [तस्मात्] उस (अंहसः) पाप से (नः) हमें (परि) सर्वथा (मुञ्च) छुड़ा ॥८॥
Connotation: - मनुष्य परमात्मा को साक्षी करके असत्य कभी न बोले ॥८॥
Footnote: ८−(बहु) (इदम्) इदानीम् (राजन्) हे सर्वशासक (वरुण) हे सर्वश्रेष्ठ परमात्मन् (अनृतम्) असत्यम् (आह) ब्रूते (पुरुषः) मनुष्यः (तस्मात्) निर्दिष्टात् (सहस्रवीर्य) हे अपरिमितपराक्रमवन् (मुञ्च) मोचय (नः) अस्मान् (परि) सर्वथा (अंहसः) पापात् ॥