अं॑हो॒मुचे॒ प्र भ॑रे मनी॒षामा सु॒त्राव्णे॑ सुम॒तिमा॑वृणा॒नः। इ॒ममि॑न्द्र॒ प्रति॑ ह॒व्यं गृ॒भाय॑ स॒त्याः स॑न्तु॒ यज॑मानस्य॒ कामाः॑ ॥
अंहःऽमुचे। प्र। भरे। मनीषाम्। आ। सुऽत्राव्ने। सुऽमतिम्। आऽवृणानः। इमम्। इन्द्र। प्रति। हव्यम्। गृभाय। सत्याः। सन्तु। यजमानस्य। कामाः ॥४२.३॥
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
वेद की स्तुति का उपदेश।