Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रोगों के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - उस [शतवार] ने (शतम्) सौ [अनेक] (वीरान्) वीर (अजनयत्) उत्पन्न किये हैं, (शतम्) सौ [अनेक] (यक्ष्मान्) राजरोग (अप अवपत्) इतर-वितर किये हैं। वह (सर्वान्) सब (दुर्णाम्नः) दुर्नामों [बुरे नामवाले बवासीर आदि] को (हत्वा) मारकर (रक्षांसि) राक्षसों [रोगजन्तुओं] को (अव धूनुते) हिला डालता है ॥४॥
Connotation: - शतवार महौषध के सेवन से वीर्य पुष्ट होकर सब वीर सन्तान उत्पन्न होते हैं, और सब दुष्ट रोग नष्ट होते हैं ॥४॥
Footnote: ४−(शतम्) अनेकान् (वीरान्) शूरान् (अजनयत्) उदपादयत् विश्ववारः-अ०५ (यक्ष्मान्) राजरोगान् (अपावपत्) सर्वथा विक्षिप्तवान् (दुर्णाम्नः) अर्शआदिरोगान् (सर्वान्) (हत्वा) नाशयित्वा (रक्षांसि) रोगजन्तून् (अव धूनुते) सर्वथा कम्पयति ॥