Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
शत्रुओं के हराने का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे परमेश्वर !] (नः) हमारे (अभिमातिम्) अभिमानी शत्रु को (सहस्व) हरा और (पृतनायतः) सेनाएँ चढ़ा लानेवालों को (सहस्व) हरा। (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (सहस्व) हरा, (मे) मेरे लिये (बहून्) बहुत (सुहार्दः) शुभ हृदयवाले लोग (कृधि) कर ॥६॥
Connotation: - मनुष्य परमेश्वर की उपासना करके दुष्टों का अपमान और शिष्टों का सन्मान करें ॥६॥
Footnote: ६−(सहस्व) अभिभव (नः) अस्माकम् (अभिमातिम्) अ०२।७।४।अभिमानिनं शत्रुम् (सहस्व) (पृतनायतः) अ०१९।२८।५। पृतनाः सेना आत्मन इच्छतः शत्रून् (सहस्व) (सर्वान्) (दुर्हार्दः) अ०१९।२८।२। दुष्टहृदयान् (सुहार्दः) अ०३।२८।५। शुभहृदयान् (मे) (मह्यम्) (बहून्) (कृधि) कुरु ॥