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त्वम॑सि॒ सह॑मानो॒ऽहम॑स्मि॒ सह॑स्वान्। उ॒भौ सह॑स्वन्तौ भू॒त्वा स॒पत्ना॑न्सहिषीमहि ॥

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त्वम्। असि। सहमानः। अहम्। अस्मि। सहस्वान्। उभौ। सहस्वन्तौ। भूत्वा। सऽपत्नान्। सहिषीमहि ॥३२.५॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:32» Paryayah:0» Mantra:5


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

शत्रुओं के हराने का उपदेश।

Word-Meaning: - [हे परमेश्वर !] (त्वम्) तू (सहमानः) वश में करनेवाला (असि) है, और (अहम्) मैं (सहस्वान्) बलवान् (अस्मि) हूँ। (उभौ) हम दोनों (सहस्वन्तौ) बलवान् (भूत्वा) होकर (सपत्नान्) विरोधियों को (सहिषीमहि) हम सब वश में करें ॥५॥
Connotation: - वीर पुरुष परमेश्वर का आश्रय लेकर और सब साथियों को मिलाकर शत्रुओं का नाश करे ॥५॥
Footnote: इस मन्त्र का मिलान करो-अ०३।१८।५ और ऋग्वेद १०।१४५।५॥५−(त्वम्) (असि) (सहमानः) अभिभवनशीलः (अहम्) (अस्मि) (सहस्वान्) बलवान् (उभौ) (सहस्वन्तौ) बलवन्तौ (भूत्वा) (सपत्नान्) विरोधिनः (सहिषीमहि) षह मर्षणे-आशीर्लिङि। अभिभवेम ॥