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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
Word-Meaning: - (सिनीवाली) अन्न देनेवाली (सरस्वती) सरस्वती [विज्ञानवती विद्या] (च) और (अयम्) यह (औदुम्बरः) संघटन चाहनेवाला (मणिः) प्रशंसनीय [परमात्मा] (मे) मेरे लिये (पयस्फातिम्) दूध की बढ़ती, (च) और (धनम्) धन और (धान्यम्) धान्य [अन्न] (आ) सब ओर से (उप) समीप (वहात्) लावे ॥१०॥
Connotation: - जो मनुष्य विद्या प्राप्त करते और परमात्मा पर विश्वास करके प्रयत्न करते हैं, वे धन-धान्य पाकर सदा प्रसन्न रहते हैं ॥१०॥
Footnote: १०−(आ) समन्तात् (मे) मह्यम् (धनम्) सुवर्णादिरूपम् (सरस्वती) विज्ञानवती विद्या (पयस्फातिम्) दुग्धस्य वृद्धिम् (च) (धान्यम्) अन्नम् (सिनीवाली) अ०२।२६।२। इण्सिञ्जिदीङु०। उ०३।२। षिञ् बन्धने-नक्, ङीप्+वल संवरणे, वल जीवने दाने च-अण्, ङीप्। सिनीवाली सिनमन्नं भवति सिनाति भूतानि बालं पर्व वृणातेस्तस्मिन्नन्नवती निरु०११।३१। अन्नदात्री (उप) सांहितिको दीर्घः। समीपे (वहात्) प्रापयेत् (अयम्) प्रसिद्धः (च) (औदुम्बरः) म०१। संहतिस्वीकर्ता (मणिः) प्रशंसनीयः परमेश्वरः ॥