Go To Mantra

ओष॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ ओष॑ मे पृतनाय॒तः। ओष॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ ओष॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

Mantra Audio
Pad Path

ओष। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। ओष। मे। पृतनाऽयतः। ओष। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। ओष। मे। द्विषतः। मणे ॥२९.७॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:29» Paryayah:0» Mantra:7


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

Word-Meaning: - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (ओष) जला दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (ओष) जला दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (ओष) जला दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (ओष) जला दे ॥१॥
Connotation: - स्पष्ट है ॥७॥
Footnote: ७−(ओष) उष दाहे। भस्मीकुरु ॥