Go To Mantra

पिं॒श द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे पिं॒श मे॑ पृतनाय॒तः। पिं॒श मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ पिं॒श मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

Mantra Audio
Pad Path

पिंश। दर्भ। सऽपत्नान्। मे। पिंश। मे। पृतनाऽयतः। पिंश। मे। सर्वान्। दुःऽहार्दः। पिंश। मे। द्विषतः। मणे ॥२८.९॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:28» Paryayah:0» Mantra:9


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

सेनापति के लक्षणों का उपदेश।

Word-Meaning: - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (पिंश) बोटी-बोटी कर, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (पिंश) बोटी-बोटी कर। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (पिंश) बोटी-बोटी कर, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (पिंश) बोटी-बोटी कर ॥९॥
Connotation: - स्पष्ट है ॥९॥
Footnote: ९−(पिंश) पिश अवयवे, मुचा० नुम्। अनेकावयवीकुरु ॥