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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सेनापति के लक्षणों का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे प्रजागण !] (ते) तेरे (दीर्घायुत्वाय) दीर्घ जीवन और (तेजसे) तेज के लिये (इमम्) इस (मणिम्) मणिरूप [अति प्रशंसनीय], (सपत्नदम्भनम्) शत्रुओं के दबानेवाले, (द्विषतः) विरोधी के (हृदः) हृदय के (तपनम्) तपानेवाले (दर्भम्) दर्भ [शत्रुविदारक सेनापति] को (बध्नामि) मैं नियुक्त करता हूँ ॥१॥
Connotation: - राजा प्रजा की रक्षा और उन्नति के लिये बलवान् नीतिज्ञ सेनापति को नियुक्त करे ॥१॥
Footnote: दर्भ एक घास औषध विशेष भी है, जो वात, पित्त, कफ त्रिदोष आदि रोगनाश करता है ॥ इस मन्त्र का मिलान करो-अ०६।४३।१२॥१−(इमम्) प्रसिद्धम् (बध्नामि) नियोजयामि (ते) तव (मणिम्) अ०१।२९।१। मण कूजे-इन्। रत्नम्। प्रशंसनीयम् (दीर्घायुत्वाय) चिरजीवनाय (तेजसे) प्रतापाय (दर्भम्) अ०६।४३।१। दॄदलिभ्यां भः। उ०३।१५१। दॄ विदारणे-भ। शत्रुविदारकं सेनापतिम्। कुशादितृणविशेषम् (सपत्नदम्भनम्) शत्रूणां हिंसकम् (द्विषतः) विरोधिनः पुरुषस्य (तपनम्) तापकम् (हृदः) हृदयस्य ॥