Go To Mantra

सोम॑स्त्वा पा॒त्वोष॑धीभि॒र्नक्ष॑त्रैः पातु॒ सूर्यः॑। मा॒द्भ्यस्त्वा॑ च॒न्द्रो वृ॑त्र॒हा वातः॑ प्रा॒णेन॑ रक्षतु ॥

Mantra Audio
Pad Path

सोमः। त्वा। पातु। ओषधीभिः। नक्षत्रैः। पातु। सूर्यः। मात्ऽभ्यः। त्वा। चन्द्रः। वृत्रऽहा। वातः। प्राणेन। रक्षतु ॥२७.२॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:27» Paryayah:0» Mantra:2


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

आशीर्वाद देने का उपदेश।

Word-Meaning: - (सोमः) सोमरस (ओषधीभिः) ओषधियों के साथ (त्वा) तुझे (पातु) बचावे, (सूर्यः) सबका चलानेवाला सूर्य (नक्षत्रैः) नक्षत्रों के साथ (पातु) बचावे। (वृत्रहा) अन्धकारनाशक (चन्द्रः) आनन्दप्रद चन्द्रमा (माद्भ्यः) महीनों के लिये और (वातः) पवन (प्राणेन) प्राण [जीवनसामर्थ्य] के साथ (त्वा) तुझे (पातु) बचावे ॥२॥
Connotation: - मनुष्य ओषधि आदि संसार के सब पदार्थों से उपकार लेकर सुखी होवें ॥२॥
Footnote: २−(सोमः) सोमरसः (त्वा) (पातु) (ओषधीभिः) (नक्षत्रैः) (पातु) (सूर्यः) लोकानां प्रेरक आदित्यः (माद्भ्यः) मासानां हिताय (त्वा) (चन्द्रः) आह्लादकश्चन्द्रमाः (वृत्रहा) शत्रुनाशकः (वातः) पवनः (प्राणेन) जीवनसामर्थ्येन (रक्षतु) ॥