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अ॑सप॒त्नं पु॒रस्ता॑त्प॒श्चान्नो॒ अभ॑यं कृतम्। स॑वि॒ता मा॑ दक्षिण॒त उ॑त्त॒रान्मा॑ शची॒पतिः॑ ॥

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असपत्नम्। पुरस्तात्। पश्चात्। नः। अभयम्। कृतम्। सविता। मा। दक्षिणतः। उत्तरात्। मा। शचीऽपतिः ॥२७.१४॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:27» Paryayah:0» Mantra:14


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

आशीर्वाद देने का उपदेश।

Word-Meaning: - (नः) हमारे लिये (मा) मुझको (पुरस्तात्) सामने से [वा पूर्व दिशा से], (पश्चात्) पीछे से [वा पश्चिम से], (दक्षिणतः) दाहिनी ओर [वा दक्खिन] से और (मा) मुझको (उत्तरात्) बाईं ओर से [वा उत्तर से] (सविता) सर्वप्रेरक राजा और (शचीपतिः) वाणियों वा कर्मों का पालनेवाला [मन्त्री] तुम दोनों (असपत्नम्) शत्रुरहित और (अभयम्) निर्भय (कृतम्) करो ॥१४॥
Connotation: - जहाँ पर राजा और मन्त्री, अपनी वाणी और कर्म में पक्के होते हैं, उस राज्य में प्रजागण शत्रुओं से सुरक्षित रहते हैं ॥१४॥
Footnote: यह मन्त्र पहिले आ चुका है अथ०१९।१६।१॥१४−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ०१९।१९।१॥