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योगे॑योगे त॒वस्त॑रं॒ वाजे॑वाजे हवामहे। सखा॑य॒ इन्द्र॑मू॒तये॑ ॥

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योगेऽयोगे। तवःऽतरम्। वाजेऽवाजे। हवामहे। सखायः। इन्द्रम्। ऊतये ॥२४.७॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:24» Paryayah:0» Mantra:7


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

राजा के कर्तव्य का उपदेश।

Word-Meaning: - (योगेयोगे) अवसर-अवसर पर और (वाजेवाजे) सङ्ग्राम-सङ्ग्राम के बीच (तवस्तरम्) अधिक बलवान् (इन्द्रम्) इन्द्र [परमैश्वर्यवान् पुरुष] को (ऊतये) रक्षा के लिये (सखायः) मित्र लोग हम (हवामहे) पुकारते हैं ॥७॥
Connotation: - सब प्रजागण विद्वान् पुरुषार्थी राजा के साथ मित्रता करके शत्रु से अपनी रक्षा का उपाय करें ॥७॥
Footnote: यह मन्त्र ऋग्वेद में है-१।३०।७, यजु०११।१४। तथा साम० पू०२।७।९ और उ०१।२।११ और आगे है-अथर्व०२०।२६।१॥७−(योगेयोगे) प्रत्यवसरम् (तवस्तरम्) तव इति बलनाम-निघ०२।९। अस्मायामेधास्रजो विनिः। पा०५।२।१२१। तवस्-विनि, ततस्तरप्, विनेच्छान्दसो लोपः। तवस्वितरम्। बलवत्तरम् (वाजेवाजे) प्रतिसंग्रामम् (हवामहे) आह्वयामः (सखायः) वयं सुहृदः सन्तः (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तं पुरुषम् (ऊतये) अवनाय। रक्षणाय ॥