Go To Mantra

शं नो॒ अदि॑तिर्भवतु व्र॒तेभिः॒ शं नो॑ भवन्तु म॒रुतः॑ स्व॒र्काः। शं नो॒ विष्णुः॒ शमु॑ पू॒षा नो॑ अस्तु॒ शं नो॑ भ॒वित्रं॒ शम्व॑स्तु वा॒युः ॥

Mantra Audio
Pad Path

शम्। नः। अदितिः। भवतु। व्रतेभिः। शम्। नः। भवन्तु। मरुतः। सुऽअर्काः। शम्। नः। विष्णुः। शम्। ऊं इति। पूषा। नः। अस्तु। शम्। नः। भवित्रम्। शम्। ऊं इति। अस्तु। वायुः ॥१०.९॥

Atharvaveda » Kand:19» Sukta:10» Paryayah:0» Mantra:9


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

सृष्टि के पदार्थों से उपकार लेने का उपदेश।

Word-Meaning: - (अदितिः) अखण्ड वेदवाणी (व्रतेभिः) नियमों के साथ (नः) हमें (शम्) सुखदायक (भवतु) हो, (मरुतः) शूर वीर (स्वर्काः) बड़े पण्डित लोग (नः) हमें (शम्) सुखदायक (भवन्तु) हों। (विष्णुः) व्यापक यज्ञ (नः) हमें (शम्) सुखदायक हो, (उ) और (पूषा) पोषण करनेवाली पृथिवी (नः) हमें (शम्) सुखदायक (अस्तु) हो, (भवित्रम्) रहने का घर (नः) हमें (शम्) सुखदायक हो, (उ) और (वायुः) वायु (शम्) सुखदायक (अस्तु) हो ॥९॥
Connotation: - मनुष्य वेदवाणी द्वारा उत्तम नियमों को ग्रहण करके विद्वानों के सत्सङ्ग से सब पदार्थों से उपकार लेकर पृथिवी पर सुख बढ़ाते रहें ॥९॥
Footnote: ९−(शम्) सुखप्रदा (नः) अस्मभ्यम् (अदितिः) अखण्डवेदवाणी (भवतु) (व्रतेभिः) नियमैः (शम्) (नः) (भवन्तु) (मरुतः) शूरवीराः (स्वर्काः) सुपूजनीयाः पण्डिताः (शम्) (नः) (विष्णुः) व्यापको यज्ञः (शम्) (उ) (पूषा) पोषिका पृथिवी-निघ० १।१ (नः) (अस्तु) (शम्) (नः) (भवित्रम्) अशित्रादिभ्य इत्रोत्रौ। उ० ४।१७३। भू सत्तायाम्-इत्र प्रत्ययः। भुवनम्। निवासस्थानम् (शम्) (उ) (अस्तु) (वायुः) पवनः ॥