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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
गोरक्षा का उपदेश।
Word-Meaning: - (अस्याः) इस [गौ] से (धानाः) धानियें [सुसंस्कृत पौष्टिक पदार्थ] और (धेनुः) गौ और (वत्सः) बछड़ा (अभवत्) होता है और (तिलः) तिल [तिल सरसों आदि] (अभवत्) होता है। (यमस्य)न्यायकारी राजा के (राज्ये) राज्य में [मनुष्य] (वै) निश्चय करके (ताम्) उस (अक्षिताम्) बिना बतायी हुई [गौ] के (उप जीवति) सहारे से जीवता है ॥३२॥
Connotation: - उत्तम राज्य केप्रबन्ध द्वारा गौ के उपकार से अन्न और तेल आदि भोजन आदि के लिये तथा गौ दूध, घीआदि के लिये और बैल खेती आदि के लिये होते हैं, जिन पदार्थों के ऊपर मनुष्य काजीवन निर्भर है ॥३२॥
Footnote: ३२−(धानाः) सुसंस्कृतपौष्टिकपदार्थाः (धेनुः) दोग्ध्री गौः (अभवत्) भवति (वत्सः) गोशिशुः। वृषभः (अस्याः) धेनोः सकाशात् (तिलः)तिलसर्षपादिपदार्थः (ताम्) गाम् (वै) निश्चयेन (यमस्य) न्यायशीलस्य राज्ञः (राज्ये) जनपदे (अक्षिताम्) अहिंसिताम् (उप) उपेत्य (जीवति) प्राणान् धारयति ॥