सत्य मार्ग पर चलने का उपदेश।
Word-Meaning: - (जातवेदसः) बड़ेज्ञानवाले तुम (जनित्रीम्) जगत् की जननी [परमात्मा] को (आ) व्याप कर (रोहत)प्रकट होओ, (पितृयाणैः) पितरों [पालक महात्माओं] के मार्गों से (सम्) मिलकर (वः)तुम्हें (आ रोहयामि) मैं [विद्वान्] ऊँचा करता हूँ। (इषितः) प्रिय (हव्यवाहः)देने-लेने योग्य पदार्थों के पहुँचानेवाले परमेश्वर ने (हव्या) देने-लेने योग्यपदार्थ (अवाट्) पहुँचाए हैं, (ईजानम्) यज्ञ कर चुकनेवाले पुरुष को (युक्ताः)मिले हुए तुम (सुकृताम्) सुकर्मियों के (लोके) समाज में (धत्त) रक्खो ॥१॥
Connotation: - विद्वान् मनुष्य उपदेशकरें कि सब मनुष्य परमात्मा का आश्रय लेकर अपना कर्तव्य करते हुए उच्च पदप्राप्त करें और जो पुरुष अधिक पुरुषार्थी और परोपकारी होवे, सब मिलकरधर्मात्माओं में उसकी प्रतिष्ठा करें ॥१॥