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इ॒मानारी॑रविध॒वाः सु॒पत्नी॒राञ्ज॑नेन स॒र्पिषा॒ सं स्पृ॑शन्ताम्। अ॑न॒श्रवो॑अनमी॒वाः सु॒रत्ना॒ आ रो॑हन्तु॒ जन॑यो॒ योनि॒मग्रे॑ ॥

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Pad Path

इमा:। नारी: । अविधवा: । सुऽपत्नी: । आऽअञ्जनेन । सर्पिषा । सम् । स्पृशन्ताम् । अनश्रव: । अनमीवा: । सुऽरत्ना: । आ । रोहन्तु । जनय: । योनिम् । अग्रे ॥५.५७॥

Atharvaveda » Kand:18» Sukta:3» Paryayah:0» Mantra:57


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

घर की रक्षा का उपदेश।

Word-Meaning: - (इमाः) यह [विदुषी] (नारीः) नारियाँ (अविधवाः) सधवा [मनुष्योंवाली] और (सुपत्नीः) धार्मिकपतियोंवाली होकर (आञ्जनेन) यथावत् मेल से और (सर्पिषा) घी आदि [सारपदार्थ] से (सं स्पृशन्ताम्) संयुक्त रहें। (अनश्रवः) बिना आसुओंवाली, (अनमीवाः) बिनारोगोंवाली, (सुरत्नाः) सुन्दर-सुन्दर रत्नोंवाली (जनयः) माताएँ (अग्रे) आगे-आगे (योनिम्) मिलने के स्थान [घर, सभा आदि] में (आ रोहन्तु) चढ़ें ॥५७॥
Connotation: - जो विदुषी स्त्रियाँब्रह्मचर्य आदि शुभ गुणवाली होती हैं, वे अपने विद्वान् सुयोग्य कुटुम्बियोंपतियों और पुत्र आदि के साथ शरीर और आत्मा से स्वस्थ रहकर बहुत धनवती और सुखवतीहोकर अग्रगामिनी बनती हैं ॥५७॥यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है−१०।१८।७। औरऊपर आचुका है-अ० १२।२।३१ ॥
Footnote: ५७−अयं मन्त्रो व्याख्यातः-अ० १२।२।३१ ॥