मनुष्यों के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (नः) हमारे (इन्दवे)ऐश्वर्य के लिये (स्वासस्थे) अच्छे आसन पर बैठनेवाले (भवतम्) तुम दोनों होओ, (वाम्) तुम दोनों के लिये (पूर्व्यम्) पहिले [योगियों] करके प्रत्यक्ष किये (ब्रह्म) बड़े परमेश्वर का (नमोभिः) सत्कारों के साथ (युजे) मैं ध्यान करता हूँ। (श्लोकः) वेदवाणी में कुशल (सूरिः) विद्वान् (पथ्या इव) सुन्दर मार्ग के समान (वि) विविध प्रकार से (एति) चलता है, (विश्वे) सब (अमृतासः) अमर [पुरुषार्थी]लोग (एतत्) यह (शृण्वन्तु) सुनें ॥३९॥
Connotation: - सब स्त्री-पुरुषपूर्वज योगियों के समान योगाभ्यास से आत्मशुद्धि करके परमात्मा को प्राप्तहोवें, और जैसे विद्वानों का बनाया मार्ग सब यात्रियों को सुखदायक होता है, वैसे ही वेदकुशल विद्वानों का विद्याप्रचार सबको आनन्द देता है ॥३९॥यह मन्त्रकुछ भेद से ऋग्वेद में है−१०।१३।१, २ तथा यजुर्वेद में−११।५ ॥