पितरों के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे विद्वान् !] (ते)तेरे लिये [उत्तम कर्म] (अकर्म) हम ने किये हैं, (स्वपसः) अच्छे कर्मवाले (अभूम)हम हुए हैं, (विभातीः) प्रकाश करती हुई (उषसः) प्रभातवेलाओं ने (ऋतम्) सत्यधर्म में (अवस्रन्) निवास किया है। (यत्) जो कुछ (भद्रम्) कल्याणकारक कर्म है, (तत्) उस (विश्वम्) सबकी (देवाः) विद्वान् लोग (अवन्ति) रक्षा करते हैं, (सुवीराः) अच्छे वीरोंवाले हम (विदथे) ज्ञानसमाज में (बृहत्) बढ़ती करनेवाला [वचन] (वदेम) बोलें ॥२४॥
Connotation: - जैसे प्रभातवलाएँ अन्धकार नाश करके प्रकाश करती हैं, वैसे ही सत्य धर्म असत्य का नाश करकेप्रकाशमान होता है, विद्वान् लोग उस सत्य का ग्रहण करके और सभाओं में बैठकरसर्ववृद्धि का विचार करें ॥२४॥इस मन्त्र का पूर्वार्द्ध ऋग्वेद में है−४।२।१९ औरउत्तरार्द्ध ऋग्वेद−२।२३।१९ और यजुर्वेद−३४।५८ ॥