Go To Mantra

तं धा॒ता प्रत्य॑मुञ्चत॒ स भू॒तं व्यकल्पयत्। तेन॒ त्वं द्वि॑ष॒तो ज॑हि ॥

Mantra Audio
Pad Path

तम् । धाता । प्रति । अमुञ्चत । स: । भूतम् । वि । अकल्पयत् । तेन । त्वम् । द्व‍िषत: । जहि ॥६.२१॥

Atharvaveda » Kand:10» Sukta:6» Paryayah:0» Mantra:21


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

सब कामनाओं की सिद्धि का उपदेश।

Word-Meaning: - (तम्) उस [वैदिक नियम] को (धाता) धारणकर्त्ता [राजा] ने (प्रति अमुञ्चत) स्वीकार किया है, और (सः) उसने (भूतम्) जगत् को (वि अकल्पयत्) संभाला है। (तेन) उस [वैदिक नियम] से (त्वम्) तू (द्विषतः) वैरियों को (जहि) मार ॥२१॥
Connotation: - जैसे राजा वेद द्वारा राज्य का प्रबन्ध करता है, वैसे ही प्रत्येक मनुष्य करे ॥२१॥
Footnote: २१−(तम्) (धाता) प्रजापालको राजा (भूतम्) जगत् (वि) विविधम् (अकल्पयत्) संस्कृतवान्। अन्यत् पूर्ववत् ॥