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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सब कामनाओं की सिद्धि का उपदेश।
Word-Meaning: - (अरातीयोः) कंजूसी करनेवाले, (भ्रातृव्यस्य) भ्रातृभाव से रहित, (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवाले (द्विषतः) द्वेषी के (शिरः) शिर को (ओजसा) बल के साथ (अपि वृश्चामि) मैं काटे देता हूँ ॥१॥
Connotation: - प्रतापी मनुष्य शत्रुओं के मारने में सदा समर्थ होवे ॥१॥
Footnote: १−(अरातीयोः) मृगय्वादयश्च। उ० १।३७। अराति+या गतिप्रापणयोः-कु। अदानशीलस्य। अनुदारस्य (भ्रातृव्यस्य) अ० २।१८।१। भ्रातृभावरहितस्य (दुर्हार्दः) अ० २।७।५। दुष्टहृदयस्य (द्विषतः) शत्रोः (शिरः) (अपि वृश्चामि) अवच्छिनद्मि (ओजसा) बलेन ॥