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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
शत्रुओं के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - (भुवः पते) हे भूपति [राजन् !] (यत्) जो (ते) तेरा (अन्नम्) अन्न (पृथिवीम् अनु) पृथिवी पर (आक्षियति) रहा करता है। (भुवः पते) हे भूपति ! (प्रजापते) हे प्रजापति [राजन् !] (त्वम्) तू (नः) हमें (तस्य) उस [अन्न] का (संप्रयच्छ) दान करता रहे ॥४५॥
Connotation: - राजा अपने सुप्रबन्ध से अन्न आदि पदार्थों को खेत और भाण्डागार में सुरक्षित रखकर प्रजापालन करे ॥४५॥
Footnote: ४५−(यत्) (ते) तव (अन्नम्) भोज्यं वस्तु (भुवः) भूमेः (पते) स्वामिन् (आ क्षियति) समन्ताद् निवसति। वर्तते (पृथिवीम्) (अनु) प्रति (तस्य) अन्नस्य (नः) अस्मभ्यम् (भुवः पते) (संप्रयच्छ) सम्यग् दानं कुरु (प्रजापते) हे प्रजापालक ॥