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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सब सम्पत्तियों के पाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (वरणः) वरण [स्वीकार करने योग्य वैदिक बोध वा वरना औषध] (त्वा) तुझको (अरात्याः) कंजूसी से, (निर्ऋत्याः) महामारी, (अभिचारात्) विरुद्ध आचरण से, (भयात्) भय से, (मृत्योः) मृत्यु [आलस्य आदि] से (अथो) और (ओजीयसः) अधिक बलवान् के (वधात्) वज्र से (वारयिष्यते) रोकेगा ॥७॥
Connotation: - मनुष्य विवेकी और बलवान् होकर सब विपत्तियों से बचे ॥७॥
Footnote: ७−(अरात्याः) अ० १।२।२। रा दाने-क्तिन्। अदानात्। कृपणत्वात् (त्वा) (निर्ऋत्याः) अ० २।१०।१। कृच्छ्रापत्तेः सकाशात् (अभिचारात्) विरुद्धाचरणात् (अथो) अपि च (भयात्) (मृत्योः) मरणात्। आलस्यात् (ओजीयसः) अ० ५।२।४। बलवत्तरस्य (वधात्) वज्रात्-निघ० २।२०। (वरणः) म० १ (वारयिष्यते) ॥