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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।
Word-Meaning: - (कृत्ये) हे कर्तव्यकुशल [सेना !] (कृत्याकृतः) हिंसा करनेवाले (वलगिनः) गुप्त कर्म करनेवाले और (अभिनिष्कारिणः) विरुद्ध यत्न करनेवाले की (प्रजाम्) प्रजा [सेवक आदि] को (मृणीहि) मार डाल, (मा उत् शिषः) मत छोड़, (अमून्) उन (कृत्याकृतः) हिंसा करनेवालों को (जहि) नाश कर ॥३१॥
Connotation: - चतुर सेनापति अपनी सुशिक्षित सेना द्वारा शत्रुओं को दल-बल सहित नाश कर दे ॥३१॥
Footnote: ३१−(कृत्याकृतः) म० २। हिंसाकारकस्य (वलगिनः) अ० ५।३१।१२। गुप्तकर्मकारिणः (अभिनिष्कारिणः) प्रतिकूलयत्नसाधकस्य (प्रजाम्) भृत्यादिरूपाम् (मृणीहि) मारय (कृत्ये) करोतेः क्यप् तुक् च, ततः अर्शआद्यच्, टाप्, तत्सम्बुद्धौ। हे कृत्ये कर्तव्ये कुशले सेने प्रजे वा (अमून्) (कृत्याकृतः) हिंसाकारकान् (जहि) नाशय ॥