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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।
Word-Meaning: - (अपरः) अति श्रेष्ठ [बड़ा सावधान पुरुष] (उत) ही (पूर्वासिनम्) पहिले [चोट] चलानेवाले को (प्रत्यादाय) उलटा पकड़कर (इष्वा) तीर से (हन्ति) मारता है। (अपरः) अति श्रेष्ठ (उत) ही (पूर्वस्य निघ्नतः) पहिले चोट मारनेवाले का (प्रति) बदले में (नि निरन्तर (हन्ति) हनन करता है ॥२७॥
Connotation: - सावधान दूरदर्शी पुरुष शत्रु की चोट लगने से पहिले ही उसे मारता है, और वीर मनुष्य ही वैरी की चोट से बचकर उसका ही हनन करता है ॥२७॥
Footnote: २७−(उत) एव। (हन्ति) (पूर्वासिनम्) पूर्व+असु क्षेपणे−णिनि। पूर्वशस्त्रक्षेप्तारम् (प्रत्यादाय) प्रतिकूलं गृहीत्वा (अपरः) नास्ति परः श्रेष्ठो यस्मात् सः। अनुत्तमः। अतिसावधानः (इष्वा) बाणेन (उत) (पूर्वस्य) अग्रवर्तिनः (निघ्नतः) नितरां हननं कुर्वतः (नि) निरन्तरम् (हन्ति) (अपरः) अतिसावधानः (प्रति) प्रतिकूलत्वेन ॥