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सोमो॒ राजा॑धि॒पा मृ॑डि॒ता च॑ भू॒तस्य॑ नः॒ पत॑यो मृडयन्तु ॥

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सोम: । राजा । अधिऽपा: । मृडिता: । च । भूतस्य । न: । पतय: । मृडयन्तु ॥१.२२॥

Atharvaveda » Kand:10» Sukta:1» Paryayah:0» Mantra:22


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

राजा के कर्तव्य दण्ड का उपदेश।

Word-Meaning: - (सोमः) ऐश्वर्यवान् (राजा) राजा (अधिपाः) अधिक पालन करनेवाला (च) और (मृडिता) सुख देनेवाला है, (भूतस्य) संसार के (पतयः) पालन करनेवाले [राजपुरुष] (नः) हमें (मृडयन्तु) सुख देते रहें ॥२२॥
Connotation: - राजा और राजपुरुष प्रजा को सुख पहुँचाने में सदा तत्पर रहें ॥२२॥
Footnote: २२−(सोमः) ऐश्वर्यवान् (राजा) शासकः (अधिपाः) अधिकपालकः (मृडिता) सुखयिता (च) (भूतस्य पतयः) संसारस्य पालका राजपुरुषाः (नः) अस्मान् (मृडयन्तु) सुखयन्तु ॥